मनोरंजक कथाएँ >> तुम डाल-डाल हम पात-पात तुम डाल-डाल हम पात-पातहरिकृष्ण देवसरे
|
1 पाठकों को प्रिय 447 पाठक हैं |
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
प्रकाशकीय
हिंदी बाल-साहित्य के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर डॉ. हरिकृष्ण देवसरे ने बच्चों के लिए कथा-कहानी, उपन्यास, विज्ञान-कथाओं और ज्ञान-विज्ञान की लगभग तीन सौ पुस्तकों की रचना की है। वह हिंदी की श्रेष्ठ बाल-पत्रिका ‘पराग’ के भी लंबे समय तक संपादक रहे।
बच्चों को ज्ञान-विज्ञान से संबंधित नई-नई बातें बताने के साथ-साथ उन्हें अपने लोक-जीवन, लोक-संस्कृति एवं लोक-परंपराओं से अवगत कराना भी उनका उद्देश्य रहा। यही करण है कि हमारे रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग किए जानेवाले मुहावरों पर आधारित रोचक कहानियों की उन्होंने रचना की, ताकि बच्चों का मनोरंजन भी हो और वे उसके पीछे की पृष्ठभूमि भी समझ सकें। लेखक ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि उनके बाल-पाठक न केवल इन कहानियों का मतलब समझें, बल्कि उन्हें पढ़ते या सुनते समय वे उसमें पूरी तरह से लीन हो जाएँ। इन कहानियों का कथा-प्रवाह और कौतूहल अंत तक बना रहता है, जो बच्चों का ध्यान आकर्षित करने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि ये कहानियाँ न सिर्फ बाल पाठकों को बल्कि बड़े उम्र के पाठकों को भी आकर्षित करेंगी और वे बड़े चाव से इन्हें पढ़कर इनमें निहित नैतिक शिक्षा ग्रहण करेंगे।
बच्चों को ज्ञान-विज्ञान से संबंधित नई-नई बातें बताने के साथ-साथ उन्हें अपने लोक-जीवन, लोक-संस्कृति एवं लोक-परंपराओं से अवगत कराना भी उनका उद्देश्य रहा। यही करण है कि हमारे रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग किए जानेवाले मुहावरों पर आधारित रोचक कहानियों की उन्होंने रचना की, ताकि बच्चों का मनोरंजन भी हो और वे उसके पीछे की पृष्ठभूमि भी समझ सकें। लेखक ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि उनके बाल-पाठक न केवल इन कहानियों का मतलब समझें, बल्कि उन्हें पढ़ते या सुनते समय वे उसमें पूरी तरह से लीन हो जाएँ। इन कहानियों का कथा-प्रवाह और कौतूहल अंत तक बना रहता है, जो बच्चों का ध्यान आकर्षित करने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि ये कहानियाँ न सिर्फ बाल पाठकों को बल्कि बड़े उम्र के पाठकों को भी आकर्षित करेंगी और वे बड़े चाव से इन्हें पढ़कर इनमें निहित नैतिक शिक्षा ग्रहण करेंगे।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book